कर्मचारी चयन आयोग (SSC) का इतिहास:-
भारत में सरकारी नौकरियों के लिए उम्मीदवारों का चयन करने वाले संगठनों में कर्मचारी चयन आयोग (Staff Selection Commission - SSC) का विशेष स्थान है। SSC केंद्र सरकार के अधीन विभिन्न मंत्रालयों, विभागों और संगठनों में ग्रुप बी और ग्रुप सी स्तर की नौकरियों के लिए भर्ती प्रक्रिया का संचालन करता है। SSC का इतिहास और इसकी स्थापना की यात्रा भारतीय प्रशासनिक तंत्र के विकास और रोजगार व्यवस्था को बेहतर बनाने के प्रयासों से जुड़ी हुई है।
SSC की स्थापना की पृष्ठभूमि
आजादी के बाद, भारत सरकार को विभिन्न प्रशासनिक और तकनीकी पदों के लिए बड़ी संख्या में योग्य कर्मचारियों की आवश्यकता थी। 1950 और 1960 के दशक में भर्ती प्रक्रिया का प्रबंधन संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) द्वारा किया जाता था। लेकिन UPSC का मुख्य ध्यान ग्रुप ए और उच्च स्तर की नौकरियों पर था। ग्रुप बी और ग्रुप सी की नौकरियों के लिए अलग व्यवस्था की आवश्यकता महसूस की गई।
1975 में, भारत सरकार ने भर्ती प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित और केंद्रीकृत करने के लिए एक नई संस्था स्थापित करने का निर्णय लिया। इसके तहत 4 नवंबर 1975 को "सब-ऑर्डिनेट सर्विस कमीशन" (Subordinate Services Commission) की स्थापना की गई। यह संगठन मुख्य रूप से केंद्र सरकार के अधीन निचले स्तर की नौकरियों के लिए भर्ती प्रक्रिया का संचालन करता था।
नाम परिवर्तन और SSC की स्थापना
1977 में, सब-ऑर्डिनेट सर्विस कमीशन का नाम बदलकर "स्टाफ सिलेक्शन कमीशन" (Staff Selection Commission) कर दिया गया। इसका उद्देश्य भर्ती प्रक्रियाओं में पारदर्शिता लाना और उम्मीदवारों को समान अवसर प्रदान करना था। SSC को केंद्र सरकार के अधीन ग्रुप बी (गैर-राजपत्रित) और ग्रुप सी पदों की भर्ती की जिम्मेदारी सौंपी गई।
SSC का कार्यक्षेत्र और जिम्मेदारियाँ
SSC का मुख्य कार्य केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों, विभागों, और संगठनों में निम्नलिखित पदों के लिए भर्ती प्रक्रिया को अंजाम देना है:
- ग्रुप बी (गैर-राजपत्रित) और ग्रुप सी पदों की भर्ती।
- परीक्षाएँ आयोजित करना:
- संयुक्त स्नातक स्तरीय परीक्षा (CGL)
- संयुक्त उच्चतर माध्यमिक स्तर परीक्षा (CHSL)
- मल्टी टास्किंग स्टाफ परीक्षा (MTS)
- जूनियर इंजीनियर परीक्षा (JE)
- स्टेनोग्राफर ग्रेड C और D परीक्षा
- दिल्ली पुलिस और CAPF में सब-इंस्पेक्टर भर्ती परीक्षा (SI)
- केंद्रीय विभागों में चयन के लिए अन्य परीक्षाएँ।
- परीक्षा पैटर्न और सिलेबस तैयार करना।
- मूल्यांकन और परिणाम की घोषणा।
- प्रोमोशन और अन्य भर्ती संबंधित सलाह।
SSC के विकास की यात्रा
SSC के गठन के बाद से इसे समय-समय पर सरकार द्वारा और अधिक सशक्त बनाया गया। इसके कामकाज को आधुनिक बनाने के लिए कई सुधार और परिवर्तन किए गए।
1. कंप्यूटर आधारित परीक्षा (CBT) का आगमन:
1990 के दशक और 2000 के दशक के शुरुआती वर्षों में, SSC की परीक्षाएँ पारंपरिक तरीके से पेन-पेपर मोड में आयोजित होती थीं। लेकिन 2016 में, SSC ने तकनीकी सुधार करते हुए कंप्यूटर आधारित परीक्षा प्रणाली शुरू की। यह कदम परीक्षा प्रक्रिया में पारदर्शिता और दक्षता लाने के लिए लिया गया।
2. सिलेबस और पैटर्न में बदलाव:
समय-समय पर SSC ने अपने परीक्षा पैटर्न और सिलेबस को बदलकर उसे अधिक आधुनिक और रोजगारपरक बनाया। यह सुनिश्चित करने के लिए कि उम्मीदवार केवल याद्दाश्त पर आधारित नहीं, बल्कि अपनी समझ और तर्क शक्ति का उपयोग करें, प्रश्नों का स्वरूप बदला गया।
3. ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया:
डिजिटलीकरण के दौर में, SSC ने ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया शुरू की। इससे उम्मीदवारों को आसानी हुई और पेपरवर्क कम हुआ।
4. क्षेत्रीय कार्यालयों की स्थापना:
SSC ने देशभर में अपने क्षेत्रीय और उप-क्षेत्रीय कार्यालय स्थापित किए। ये कार्यालय विभिन्न क्षेत्रों में परीक्षा आयोजित करने, उम्मीदवारों की शिकायतें सुनने और भर्ती प्रक्रियाओं को संभालने में मदद करते हैं।
SSC द्वारा आयोजित प्रमुख परीक्षाएँ
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संयुक्त स्नातक स्तरीय परीक्षा (CGL): यह परीक्षा केंद्र सरकार के मंत्रालयों और विभागों में ग्रुप बी और ग्रुप सी स्तर की नौकरियों के लिए आयोजित की जाती है।
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संयुक्त उच्चतर माध्यमिक स्तर परीक्षा (CHSL): इस परीक्षा के माध्यम से लोअर डिवीजन क्लर्क (LDC), डाटा एंट्री ऑपरेटर (DEO), और अन्य पदों पर भर्ती की जाती है।
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मल्टी टास्किंग स्टाफ (MTS): इस परीक्षा के माध्यम से चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों की भर्ती की जाती है।
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स्टेनोग्राफर ग्रेड C और D: यह परीक्षा स्टेनोग्राफी में दक्ष उम्मीदवारों के लिए आयोजित की जाती है।
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जूनियर इंजीनियर (JE): तकनीकी पदों, जैसे सिविल, मैकेनिकल, और इलेक्ट्रिकल इंजीनियर के लिए यह परीक्षा आयोजित की जाती है।
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दिल्ली पुलिस और CAPF में सब-इंस्पेक्टर (SI): यह परीक्षा पुलिस बल और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों में सब-इंस्पेक्टर पदों के लिए होती है।
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केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा (CTET): शिक्षक बनने के इच्छुक उम्मीदवारों के लिए यह परीक्षा आयोजित की जाती है।
SSC की चुनौतियाँ
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भारी प्रतियोगिता: हर साल SSC की परीक्षाओं में लाखों उम्मीदवार शामिल होते हैं, जिससे चयन प्रक्रिया चुनौतीपूर्ण हो जाती है।
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परीक्षा प्रक्रिया में देरी: कभी-कभी परीक्षाओं के आयोजन और परिणाम की घोषणा में देरी हो जाती है, जो उम्मीदवारों के लिए निराशाजनक हो सकती है।
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तकनीकी समस्याएँ: ऑनलाइन परीक्षाओं के दौरान तकनीकी समस्याएँ भी SSC के सामने एक बड़ी चुनौती हैं।
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भ्रष्टाचार और पेपर लीक: कुछ मामलों में परीक्षा के दौरान पेपर लीक की घटनाएँ हुई हैं, जो आयोग की साख को प्रभावित करती हैं।
SSC में सुधार के प्रयास
- डिजिटल सुरक्षा: परीक्षा प्रक्रिया को सुरक्षित बनाने के लिए SSC ने डिजिटल सुरक्षा उपाय अपनाए हैं।
- तेजी से परिणाम घोषित करना: आयोग ने उम्मीदवारों की प्रतीक्षा अवधि कम करने के लिए प्रक्रियाओं को तेज किया है।
- प्रशिक्षण और जागरूकता: SSC अपने कर्मचारियों और परीक्षा केंद्रों के प्रबंधकों को प्रशिक्षित करता है, ताकि प्रक्रिया सुचारू और पारदर्शी बनी रहे।
निष्कर्ष
कर्मचारी चयन आयोग (SSC) ने भारतीय युवाओं के लिए सरकारी नौकरियों का एक मजबूत मंच प्रदान किया है। अपनी स्थापना से लेकर अब तक, SSC ने लाखों उम्मीदवारों को उनके सपनों की नौकरियाँ दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। पारदर्शी और आधुनिक भर्ती प्रक्रिया के माध्यम से SSC ने न केवल उम्मीदवारों का विश्वास जीता है, बल्कि भारतीय प्रशासनिक व्यवस्था को भी मजबूत किया है।
भविष्य में SSC की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो जाएगी, क्योंकि देश में रोजगार की बढ़ती मांग और तकनीकी बदलाव के साथ-साथ प्रशासनिक तंत्र को और अधिक सक्षम बनाने की आवश्यकता होगी। यदि SSC इन चुनौतियों का सामना करते हुए सुधारों को जारी रखता है, तो यह भारतीय युवाओं के लिए अवसरों का एक प्रमुख स्रोत बना रहेगा।
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